Silsile Mulaqaton Ke

फूल जब माँगते हैं बरसों दुआ
तब बहारों की कली खिलती है
तुम तो आयी हो कहीं जन्नत से
ऐसी महबूबा ज़माने में कहाँ मिलती है?

(सिलसिले, सिलसिले)

सिलसिले मुलाक़ातों के ना छोड़िएगा, ना छोड़िएगा
सिलसिले मुलाक़ातों के ना छोड़िएगा, ना छोड़िएगा
नाराज़गी में भी ताल्लुक़ ना तोड़िएगा, ना तोड़िएगा
हम हैं सनम बेवफ़ा, ना सोचिएगा

सिलसिले मुलाक़ातों के ना छोड़िएगा, ना छोड़िएगा
नाराज़गी में भी ताल्लुक़ ना तोड़िएगा, ना तोड़िएगा
हम हैं सनम बेवफ़ा, ना सोचिएगा
सिलसिले मुलाक़ातों के ना छोड़िएगा, ना छोड़िएगा

(ना छोड़िएगा, ना तोड़िएगा)
(ना छोड़िएगा, ना तोड़िएगा)

हम इश्क़ में आपके हैं, हो
रात-दिन, रात-दिन, रात-दिन
जीना नहीं है गँवारा, हो
आप बिन, आप बिन, आप बिन

चाहत का मारा, हो, दिल तुझ पे हारा
है सबसे प्यारा, हो, ये नाता यारा

ओ, दिलरुबा रे
और किसी से अब ये नाता ना जोड़िएगा, ना जोड़िएगा
नाराज़गी में भी ताल्लुक़ ना तोड़िएगा, ना तोड़िएगा
हम हैं सनम बेवफ़ा, ना सोचिएगा
सिलसिले मुलाक़ातों के ना छोड़िएगा, ना छोड़िएगा

हमको तुम्हारी वफ़ा पे
है यक़ीं, है यक़ीं, है यक़ीं
तेरी सिवा ज़िन्दगी क्या?
कुछ नहीं, कुछ नहीं, कुछ नहीं

ख़्वाबों के घर में, ओ, इन रंग-रलियों में
तुम ले आए हो, ओ, दिल की गलियों में

ओ, साथिया, ओ
बीच राह में लाके फिर ना मुँह मोड़िएगा, मुँह मोड़िएगा
नाराज़गी में भी ताल्लुक़ ना तोड़िएगा, ना तोड़िएगा
हम हैं सनम बेवफ़ा, ना सोचिएगा

सिलसिले मुलाक़ातों के ना छोड़िएगा, ना छोड़िएगा
नाराज़गी में भी ताल्लुक़ ना तोड़िएगा, ना तोड़िएगा

(ना छोड़िएगा, ना तोड़िएगा)
(ना छोड़िएगा, ना तोड़िएगा)



Credits
Writer(s): Sameer Anjaan, Himesh Reshmayya
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