Woh To Hai Albela

वो तो है अलबेला, हज़ारों में अकेला
वो तो है अलबेला, हज़ारों में अकेला
सदा तुमने ऐब देखा, हुनर को ना देखा

वो तो है अलबेला, हज़ारों में अकेला
सदा तुमने ऐब देखा, हुनर को ना देखा
वो तो है अलबेला...

फ़ुरसत मिली ना तुम्हें अपने जहान से
उसके भी दिल की कभी समझते कहाँ से
फ़ुरसत मिली ना तुम्हें अपने जहान से
उसके भी दिल की कभी समझते कहाँ से

जाना है जिसे पत्थर, हीरा है वो तो हीरा
सदा तुमने ऐब देखा, हुनर को ना देखा
वो तो है अलबेला, हज़ारों में अकेला
वो तो है अलबेला...

बंसी को लकड़ी सदा समझा किए तुम
पर उसके नग़्मों की धुन कहाँ सुन सके तुम
बंसी को लकड़ी सदा समझा किए तुम
पर उसके नग़्मों की धुन कहाँ सुन सके तुम

दिए की माटी देखी, देखी ना उसकी ज्योति
सदा तुमने ऐब देखा, हुनर को ना देखा
वो तो है अलबेला, हज़ारों में अकेला
वो तो है अलबेला, हज़ारों में अकेला

सदा तुमने ऐब देखा, हुनर को ना देखा
वो तो है अलबेला, हज़ारों में अकेला
वो तो है अलबेला...



Credits
Writer(s): Lalitraj Pandit, Majrooh Sultanpuri, Pandit Jatin
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