Suno Zara

सुनो ज़रा, सुनो ज़रा
हवाओं में ये कैसी है सदा
कोई तो है, जो है ये कह रहा
कि राह में वो मोड़ आ गया
कि जिसके आगे है ज़मीं ना आसमाँ
ना मंज़िलें, ना रास्ता

सुनो ज़रा, सुनो ज़रा
हवाओं में ये कैसी है सदा
कोई तो है, जो है ये कह रहा
कि राह में वो मोड़ आ गया
कि जिसके आगे है ज़मीं ना आसमाँ
ना मंज़िलें, ना रास्ता

यादों के ग़म ही तराने गाती हैं तन्हाइयाँ
हाँ, दिन ढल रहा है, तो कितनी लंबी हैं परछाइयाँ?

बस एक पल में होगा सब धुआँ-धुआँ
है आरज़ू की ये सदा

सुनो ज़रा, सुनो ज़रा
हवाओं में ये कैसी है सदा
कोई तो है, जो है ये कह रहा
कि राह में वो मोड़ आ गया
कि जिसके आगे है ज़मीं ना आसमाँ
ना मंज़िलें, ना रास्ता

धुँधला गए हैं सितारे, फूलों को नींद आ गई
गुमसुम से हम सोचते हैं बातें अधूरी कई

हुई ना पूरी क्यूँ कोई भी दास्ताँ?
किसे ख़बर, किसे पता

सुनो ज़रा, सुनो ज़रा
हवाओं में ये कैसी है सदा
कोई तो है, जो है ये कह रहा
कि राह में वो मोड़ आ गया
कि जिसके आगे है ज़मीं ना आसमाँ
ना मंज़िलें, ना रास्ता

सुनो ज़रा, सुनो ज़रा
हवाओं में ये कैसी है सदा
कोई तो है, जो है ये कह रहा
कि राह में वो मोड़ आ गया
कि जिसके आगे है ज़मीं ना आसमाँ
ना मंज़िलें, ना रास्ता
ना मंज़िलें, ना रास्ता



Credits
Writer(s): Javed Akhtar, Jatin Lalit
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