Aag Lagake Chale Ho Kahan

आग लगा के चले हो कहाँ?
पास तो आओ, ऐ, जान-ए-जाँ
आग लगा के चले हो कहाँ?
पास तो आओ, ऐ, जान-ए-जाँ

कहने को मौसम बर्फ़ीला है
कहने को मौसम बर्फ़ीला है
साँसों से देखो निकले धुआँ

शाम का सूरज ढलने लगा
टिमटिमा रही हैं बस्तियाँ
शाम का सूरज ढलने लगा
टिमटिमा रही हैं बस्तियाँ

आज अगर मैं रह गई
आज अगर मैं रह गई
हर दम पड़ेगा रुकना यहाँ

आग लगा के चले हो कहाँ?
पास तो आओ, ऐ, जान-ए-जाँ
शाम का सूरज ढलने लगा
टिमटिमा रही हैं बस्तियाँ

देखो तुमको यार है, रोका पहली बार है
इस तरह ना तरसाओ पहला-पहला प्यार है
देखो तुमको यार है, रोका पहली बार है
इस तरह ना तरसाओ पहला-पहला प्यार है

बाँहों में तेरी दुनिया मेरी
बाँहों में तेरी दुनिया मेरी
क़दमों में तेरे मेरा जहाँ

आग लगा के चले हो कहाँ?
पास तो आओ, ऐ, जान-ए-जाँ
शाम का सूरज ढलने लगा
टिमटिमा रही हैं बस्तियाँ

देख के तेरी नज़र, हो रही हूँ बेख़बर
अच्छा तो लग रहा, फिर भी लग रहा है डर
देख के तेरी नज़र, हो रही हूँ बेख़बर
अच्छा तो लग रहा, फिर भी लग रहा है डर

जाने किधर लेके चला
जाने किधर लेके चला
रंगीन ख़ाबों का ये कारवाँ

शाम का सूरज ढलने लगा
टिमटिमा रही हैं बस्तियाँ
आग लगा के चले हो कहाँ?
पास तो आओ, ऐ, जान-ए-जाँ

आओ फिर तो घूम ले, मस्ती में हम झूम ले
कर बहना मौसम का, हम लबों को चूम ले
आओ फिर तो घूम ले, मस्ती में हम झूम ले
कर बहना मौसम का, हम लबों को चूम ले

प्यार के सागर का अंत नहीं
प्यार के सागर का अंत नहीं
कितना गहरा है रूप का कुआँ

शाम का सूरज ढलने लगा
टिमटिमा रही हैं बस्तियाँ
आग लगा के चले हो कहाँ?
पास तो आओ, ऐ, जान-ए-जाँ

आज अगर मैं रह गई
आज अगर मैं रह गई
हर दम पड़ेगा रुकना यहाँ



Credits
Writer(s): Ravindra Jain, Rani Malik
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