Abke Na Sawan Barse

हो, अब के ना सावन बरसे
अब के ना सावन बरसे
ओ, अब के बरस तो बरसेंगी अखियाँ
अब के ना सावन बरसे
हो, अब के बरस तो बरसेंगी अखियाँ
अब के ना सावन बरसे

जाने कैसे अब के ये मौसम बीते

जाने कैसे अब के ये मौसम बीते
बीतेगी जो तेरे बिन वो कम बीते
तेरे बिना सावन सूखे
तेरे बिना अब तो ये मन तरसे

अब के ना सावन बरसे
हो, अब के बरस तो बरसेंगी अखियाँ
अब के ना सावन बरसे

जाने कब आए-दिन दिन ढल जाए
दिन ढल जाए
जाने कब आए-दिन दिन ढल जाए
तेरे बिन अखियों से रास ना जाए
तेरे बिना रास ना जाए
तेरे बिना अब तो ये दिन तरसे

अब के ना सावन बरसे
ओ, अब के बरस तो बरसेंगी अखियाँ
अब के ना सावन बरसे

बंद शीशे हैं, दरीचों में खुले मंज़र हैं
सब्ज़ पेड़ों पे, घनी शाखों पे और फूलों पर
कैसे चुप-चाप बरसता है मुसलसल पानी
कितनी मख़लूक़ है, हंगामे हैं, आवाज़ें हैं?
फिर भी अहसास की इक सतह पे हौले-हौले
जैसा चुप-चाप बरसता है तसव्वुर तेरा



Credits
Writer(s): Rahul Dev Burman
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