Pighla Hai Sona Door Gagan Par

—सुंदर रचना कितनी प्यारी है
तेरी महिमा के गुणगाता हर नर-नारी हैं
भगवान, तेरी सुंदर रचना कितनी प्यारी है
तेरी महिमा के गुणगाता हर नर-नारी हैं

पिघला है सोना...
पिघला है सोना दूर गगन पर
फ़ैल रहे हैं शाम के साए
पिघला है सोना दूर गगन पर
फ़ैल रहे हैं शाम के साए

भगवान, तेरी सुंदर रचना कितनी प्यारी है
तेरी महिमा के गुणगाता हर नर-नारी हैं
भगवान, तेरी सुंदर रचना कितनी प्यारी है
भगवान, तेरी सुंदर रचना कितनी प्यारी है

खामोशी कुछ बोल रही है
भेद अनोखे खोल रही है
पंख-पखेरू सोच में गुम हैं
पेड़ खड़े हैं शीश झुकाए

पिघला है सोना...
पिघला है सोना दूर गगन पर
फ़ैल रहे हैं शाम के साए

भगवान, तेरी सुंदर रचना कितनी प्यारी है
तेरी महिमा के गुणगाता हर नर-नारी हैं
भगवान, तेरी सुंदर रचना कितनी प्यारी है
तेरी महिमा के गुणगाता हर नर-नारी हैं
भगवान, तेरी सुंदर रचना कितनी प्यारी है

धुँधले-धुँधले मस्त नज़ारे
उड़ते बादल, मुड़ते धारे
चुप के नज़र से जाने ये किसने
रंग-रंगीले खेल रचाए

पिघला है सोना...
पिघला है सोना दूर गगन पर
फ़ैल रहे हैं शाम के साए

भगवान, तेरी सुंदर रचना कितनी प्यारी है
तेरी महिमा के गुणगाता हर नर-नारी हैं
भगवान, तेरी सुंदर रचना कितनी प्यारी है
तेरी महिमा के गुणगाता हर नर-नारी हैं
भगवान, तेरी सुंदर रचना कितनी प्यारी है

कोई भी उसका राज़ ना जाने
एक हक़ीक़त, लाख फ़साने
एक ही जलवा शाम-सवेरे
भेस बदल कर सामने आए

पिघला है सोना...
पिघला है सोना दूर गगन पर
फ़ैल रहे हैं शाम के साए

पिघला है सोना
पिघला है सोना



Credits
Writer(s): Ludiavani Sahir, S Burman
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