Ek Adhurisi Mulaqat Huyi Thi - Original

एक अधूरी सी मुलाक़ात हुई थी जिनसे
एक अधूरी सी मुलाक़ात हुई थी जिनसे
जाने अब उनसे मुलाक़ात कभी हो कि ना हो
एक अधूरी सी मुलाक़ात हुई थी जिनसे

जिस हसीं राह पे हम साथ चले थे कुछ दिन
जिस हसीं राह पे हम साथ चले थे कुछ दिन
जाने उस राह पे अब साथ कभी हो कि ना हो
जिस हसीं राह पे हम साथ चले थे कुछ दिन

कुछ बताया ही नहीं हाथ छुड़ाने का सबब
कुछ बताया ही नहीं हाथ छुड़ाने का सबब
फिर ना आने का सबब, रूठ के जाने का सबब

पूछते उनसे, मगर बात कभी हो कि ना हो
एक अधूरी सी मुलाक़ात हुई थी जिनसे

मेरी ख़ामोश मोहब्बत को ना समझा कोई
मेरी ख़ामोश मोहब्बत को ना समझा कोई
दिल यूँ ही छोड़ गया आग में जलता कोई

दिल पे अब प्यार की बरसात कभी हो कि ना हो
जिस हसीं राह पे हम साथ चले थे कुछ दिन

ज़िंदगी को किसी चेहरे का उजाला ना मिला
ज़िंदगी को किसी चेहरे का उजाला ना मिला
थक गए पाँव, मगर कोई भी साया ना मिला

उनकी ज़ुल्फ़ों के तले रात कभी हो कि ना हो
एक अधूरी सी मुलाक़ात हुई थी जिनसे

हमने सोचा था कि अब साथ ना छूटेगा कभी
हमने सोचा था कि अब साथ ना छूटेगा कभी
ज़िंदगी-भर का ये बंधन है, ना टूटेगा कभी

दो घड़ी भी मगर अब साथ कभी हो कि ना हो
जिस हसीं राह पे हम साथ चले थे कुछ दिन
जाने उस राह पे अब साथ कभी हो कि ना हो
एक अधूरी सी मुलाक़ात हुई थी जिनसे
जाने अब उनसे मुलाक़ात कभी हो कि ना हो



Credits
Writer(s): Hassan Kamaal, Ravi
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