Bhor Bhaye Panghat Pe

भोर भये पनघट पे मोहे नटखट श्याम सताए
भोर भये पनघट पे मोहे नटखट श्याम सताए
मोरी चुनरियाँ लिपटी जाए
मैं का करूँ? हाए, राम, हाए-हाए

भोर भये पनघट पे मोहे नटखट श्याम सताए
मोरी चुनरियाँ लिपटी जाए
मैं का करूँ? हाए, राम, हाए-हाए
भोर भये पनघट पे...

कोई सखी-सहेली नाही, संद मैं अकेली
कोई देखे तो ये जाने पनिया भरने के बहाने
गगरी उठाए, राधा श्याम से
हाए-हाए, श्याम मिलने जाए, हाए
भोर भये पनघट पे मोहे नटखट श्याम सताए
भोर भये पनघट पे...

आए पवन झकोरा, टूटे अंग-अंग मोरा
चोरी-चोरी, चुपके-चुपके
बैठा कहीं पे वो चुपके देखे मुस्काए
निर्लज को...
निर्लज को लाज ना आए, हाए
भोर भये पनघट पे मोहे नटखट श्याम सताए
भोर भये पनघट पे...

मैं ना मिलूँ डगर में तो वो चला आए घर में
मैं दूँ गाली, मैं दूँ छिड़की, मैं ना खोलूँ खिड़की
नींदिया जो आए तो वो कंकर
हाए-हाए, कंकर मार जगाए, हाए

भोर भये पनघट पे मोहे नटखट श्याम सताए
मोरी चुनरियाँ लिपटी जाए
मैं का करूँ? हाए-हाए, का करूँ?
हाए, राम, हाए-हाए
भोर भये पनघट पे...



Credits
Writer(s): Anand Bakshi, Kudalkar Laxmikant, Pyarelal Ramprasad Sharma
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link