Nigahen Milane Ko Jee Chahta Hai

राज़ की बात है, महफ़िल में कहे या ना कहे?
बस गया है कोई इस दिल में, कहे या ना कहे?
कहे ये या ना कहे?

निगाहें मिलाने को जी चाहता है
निगाहें मिलाने को जी चाहता है
ओ, निगाहें मिलाने को जी चाहता है
दिल-ओ-जाँ लुटाने को जी (जी चाहता है)
(दिल-ओ-जाँ लुटाने, लुटाने को जी चाहता है, जी चाहता है)

वो तोहमत जिसे "इश्क़" कहती है दुनिया
वो तोहमत जिसे "इश्क़" कहती है दुनिया, कहती है दुनिया
वो तोहमत जिसे "इश्क़" कहती है दुनिया

वो तोहमत उठाने को जी चाहता है
वो तोहमत उठाने को (जी चाहता है)
(वो तोहमत उठाने, उठाने को जी चाहता है, जी चाहता है)

किसी के मनाने में लज़्ज़त वो पाई
किसी के मनाने में लज़्ज़त वो पाई, लज़्ज़त वो पाई
किसी के मनाने में लज़्ज़त वो पाई

कि फिर रूठ जाने को जी चाहता है
कि फिर रूठ जाने को (जी चाहता है)
(मेरा रूठ जाने को जी चाहता है)
(दिल-ओ-जाँ लुटाने को जी चाहता है)

वो जलवा जो ओझल भी है सामने भी
वो जलवा जो ओझल भी है सामने भी, है सामने भी
वो जलवा जो ओझल भी है सामने भी

वो जलवा चुराने को जी चाहता है
वो जलवा चुराने को (जी चाहता है)
(वो जलवा चुराने, चुराने को जी चाहता है, जी चाहता है)

(वो जलवा चुराने को जी चाहता है)
(वो जलवा चुराने को जी चाहता है)

ओ, जिस घड़ी मेरी निगाहों को तेरी दीद हुई
वो घड़ी मेरे लिए ऐश की तमहीद हुई
जब कभी मैंने तेरा चाँद सा चेहरा देखा
जब कभी मैंने तेरा चाँद सा चेहरा देखा
ईद हो या कि ना हो, मेरे लिए ईद हुई
(आही, ईद हो या कि ना हो, मेरे लिए ईद हुई)

वो जलवा जो ओझल भी है सामने भी
वो जलवा चुराने को (जी चाहता है)
(वो जलवा चुराने को जी चाहता है)

नि-रे-ग, ग-रे-ग-नि-रे-म
म-ग-म-नि-रे-ग, ग-रे-ग-नि-ग-रे
रे-ग-ग-म, म-ध-नि, सा-सा, नि-नि, ध-ध, प-प-ग-रे
सा-नि-ध-प-म-ग-रे, नि-ध-प-म-ग-रे-सा-नि-रे-ग

मुलाक़ात का कोई पैग़ाम दीजे कि
छुप-छुप के आने को जी चाहता है
और आके ना जाने को जी चाहता है
और आके ना जाने को जी चाहता है, जी चाहता है
निगाहें मिलाने को जी चाहता है
निगाहें मिलाने को जी चाहता है



Credits
Writer(s): Roshan, Ludiavani Sahir
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