Mohabbat Bade Kaam Ki Cheez Hai

हर तरफ़ हुस्न है, जवानी है
आज की रात क्या सुहानी है
रेशमी जिस्म...
हाँ, रेशमी जिस्म थरथराते हैं
मरमरी ख़्वाब गुनगुनाते हैं

धड़कनों में सुरूर फैला है
रंग नज़दीक-ओ-दूर फैला है
दावत-ए-इश्क़ दे रही है फ़ज़ा
आज हो जा किसी हसीं पे फ़िदा

के

मोहब्बत बड़े काम की चीज़ है, काम की चीज़ है
मोहब्बत बड़े काम की चीज़ है, काम की चीज़ है

मोहब्बत के दम से है दुनिया की रौनक
मोहब्बत ना होती तो कुछ भी ना होता
नज़र और दिल की पनाहों की ख़ातिर
ये जन्नत ना होती तो कुछ भी ना होता

यही एक आराम की चीज़ है

...काम की चीज़ है
मोहब्बत बड़े काम की चीज़ है, काम की चीज़ है

किताबों में छपते हैं चाहत के क़िस्सें
हक़ीक़त की दुनिया में चाहत नहीं है

किताबों में छपते हैं चाहत के क़िस्सें
हक़ीक़त की दुनिया में चाहत नहीं है
ज़माने के बाज़ार में ये वो शय है
के जिसकी किसी को ज़रूरत नहीं है

ये बेकार, बे-दाम की चीज़ है
ये क़ुदरत के ईनाम की चीज़ है

ये बस नाम ही नाम की चीज़ है

...काम की चीज़ है
मोहब्बत बड़े काम की चीज़ है, काम की चीज़ है

मोहब्बत से इतना ख़फ़ा होने वाले
चल, आ, आज तुझको मोहब्बत सीखा दें
तेरा दिल जो बरसों से वीराँ पड़ा है
किसी नाज़नींना को इसमें बसा दें

मेरा मशवरा काम की चीज़ है

...काम की चीज़ है
मोहब्बत बड़े काम की चीज़ है, काम की चीज़ है

ये बेकार, बे-दाम की चीज़ है

...काम की चीज़ है
मोहब्बत बड़े काम की चीज़ है, काम की चीज़ है

मोहब्बत बड़े काम की चीज़ है, काम की चीज़ है



Credits
Writer(s): N/a Khaiyyaam, Ludiavani Sahir
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