Woh Baat

वो बात गुज़री रात जो कह ना सके तुमसे हम
वो बात गुज़री रात जो कह ना सके तुमसे हम
वो पल गया, सुनाया ख़ुदाया कैसा सितम

वो बात गुज़री रात जो कह ना सके तुमसे हम
वो पल गया, सुनाया ख़ुदाया कैसा सितम
वो बात गुज़री रात जो कह ना सके तुमसे हम

वो शाख़-शाख़ कली झूम-झूम जाए हैं
कोई लम्हा हमें रह-रह के यूँ बुलाए हैं
जिस तरह बिछड़े सनम साथ चलें साया बन
वो बात गुज़री रात जो कह ना सके तुमसे हम

इस अँधेरे में कहीं दूर कोई गाए है
है के सौ दर्द के जिसके वसीह साए हैं
है ये आहट उन्हीं यादों की, सुन सके तो सुन
वो बात गुज़री रात जो कह ना सके तुमसे हम

यही थी रात, यही आसमाँ, यहीं थे हम
इन्हीं बाँहों में थी तुमको गया था कुल-आलम
ना जाने क्यूँ भर आई थी तेरी आँख, सनम
वो बात गुज़री रात जो कह ना सके तुमसे हम



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