Yeh Ankhen Dekh Kar

ये आँखें देख कर हम सारी दुनिया भूल जाते हैं
ये आँखें देख कर हम सारी दुनिया भूल जाते हैं
इन्हें पाने की...
इन्हें पाने की धुन में हर तमन्ना भूल जाए हैं

तुम अपनी महकी-महकी ज़ुल्फ़ के पेचों को कम कर दो
तुम अपनी महकी-महकी ज़ुल्फ़ के पेचों को कम कर दो
मुसाफ़िर इनमें घिरकर अपना रस्ता भूल जाते, भूल जाते हैं
ये आँखें देख कर हम सारी दुनिया भूल जाते हैं

ये बाँहें जब हमें अपनी पनाहों में बुलाती हैं
ये बाँहें जब हमें अपनी पनाहों में बुलाती हैं
हमें अपनी क़सम...
हमें अपनी क़सम, हम हर सहारा भूल जाते हैं

तुम्हारे नर्म-ओ-नाज़ुक होंठ जिस दम मुस्कुराते हैं
तुम्हारे नर्म-ओ-नाज़ुक होंठ जिस दम मुस्कुराते हैं
बहारें झेंपती हैं, फूल खिलना भूल जाते हैं
ये आँखें देख कर हम सारी दुनिया भूल जाते हैं

बहुत कुछ तुम से कहने की तमन्ना दिल में रखते हैं
बहुत कुछ तुम से कहने की तमन्ना दिल में रखते हैं
मगर जब सामने आते हैं, कहना भूल जाते हैं

मोहब्बत में ज़ुबाँ चुप हो तो आँखें बात करती है
मोहब्बत में ज़ुबाँ चुप हो तो आँखें बात करती है
वो कह देती हैं वो बातें, जो कहना भूल जाते हैं

ये आँखें देख कर हम सारी दुनिया भूल जाते हैं
ये आँखें देख कर हम सारी दुनिया भूल जाते हैं



Credits
Writer(s): Hridaynath Mangeshkar, Ludiavani Sahir
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