Ek Pardesi Door Se Aaya

एक परदेसी दूर से आया
लड़की पर हक़ अपना जताया
घर वालों ने हामी भर दी
परदेसी की मर्ज़ी कर दी

प्यार के वादें हुएँ ना पूरे
रह गए सारे खाब अधूरे
छोड़ के साथी और हम-साएँ
चल दी लड़की देस पराए

दो बाँहों के हार ने रोका
वादों की दीवार ने रोका
घायल दिल का प्यार पुकारा
आँचल का हर तार पुकारा

पर लड़की कुछ मुँह से ना बोली
पत्थर बन कर ग़ैर की हो ली
अब गुमसुम, हैरान सी है वो
मुझ से भी अनजान सी है वो

जब भी देखो चुप रहती हैं
कहती हैं तो ये कहती हैं
"'कल की बात ना कोई जाने'
कहते हैं ये सभी सियाने"

ये मत सोचो कल क्या होगा
जो भी होगा, अच्छा होगा
ये मत सोचो कल क्या होगा
जो भी होगा, अच्छा होगा

ये मत सोचो कल क्या होगा
जो भी होगा, अच्छा होगा



Credits
Writer(s): Ravi, Ludiavani Sahir
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