Yeh Shama To Jali

ये शमा तो जली रोशनी के लिए
इस शमा से कहीं आग लग जाए तो ये शमा क्या करे?

ये शमा तो जली रोशनी के लिए
इस शमा से कहीं आग लग जाए तो ये शमा क्या करे?
ये हवा तो चली, साँस ले हर कोई
घर किसी का उजड़ जाए आँधी में तो ये हवा क्या करे?

चल के पूरब से ठंडी हवा आ गई
चल के पूरब से ठंडी हवा आ गई
उठ के पर्वत से काली घटा छा गई

ये घटा तो उठी, प्यास सबकी बुझे
आशियाँ पे किसी के गिरी बिजलियाँ तो ये घटा क्या करे?
ये शमा तो जली रोशनी के लिए

पूछता हूँ मैं सबसे, कोई दे जवाब
पूछता हूँ मैं सबसे, कोई दे जवाब
नाख़ुदा की भला क्या ख़ता है, जनाब?

नाख़ुदा लेके साहिल पे जानिब चला
डूब जाए सफ़ीना जो मझधार में तो नाख़ुदा क्या करे?
ये शमा तो जली रोशनी के लिए

वो जो उलझन सी तेरे ख़यालों में है
वो जो उलझन सी तेरे ख़यालों में है
वो इशारा भी मेरे सवालों में है

ये निगाह तो मिली देखने के लिए
पर कहीं ये नज़र धोखा खा जाए तो-तो ये निगाह क्या करे?
ये शमा तो जली रोशनी के लिए
इस शमा से कहीं आग लग जाए तो ये शमा क्या करे?



Credits
Writer(s): Anand Bakshi, Kudalkar Laxmikant, Pyarelal Ramprasad Sharma
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