Imtihan Imtihan

इंसान, वो इंसान के जो काम आता है
इंसान, वो इंसान के जो काम आता है
ख़ुद को ख़तरे में डाल के औरों को बचाता है
...औरों को बचाता है

इम्तहान, इम्तहान, इंसानियत का आज इम्तहान
इम्तहान, इम्तहान, इंसानियत का आज इम्तहान
टूटे दिल को जो सँभाले, डूबते को को जो बचा ले
टूटे दिल को जो सँभाले, डूबते को को जो बचा ले

काम आए औरों के, वो ही तो है इंसान

इम्तहान, इम्तहान, इंसानियत का आज इम्तहान

पानी, ज़हर, हर एक लहर, बन गई तूफ़ाँ
मुस्कुराती, गाती बस्तियाँ हुई वीराँ
आँख में है जिनकी गंगा-जमुना के धारे
अपने ही देशवासी, हम वतन हैं हमारे

अश्कों का एक रंग, सबका दर्द एक समान

इम्तहान, इम्तहान, इंसानियत का आज इम्तहान
(इम्तहान, इम्तहान, इंसानियत का आज इम्तहान)
टूटे दिल को जो सँभाले, डूबते को को जो बचा ले
टूटे दिल को जो सँभाले, डूबते को को जो बचा ले

काम आए औरों के, वो ही तो है इंसान

इम्तहान, इम्तहान, इंसानियत का आज इम्तहान

घुँघट दुल्हन का खोले बिना कोई सो गया
माँ को नहीं ख़बर, भँवर में 'लाल' खो गया
माँ मर चुकी है, भूखा 'लाल' फिर भी पुकारे
कमज़ोर बुढ़ापे को देगा कौन सहारे?

गाँव को शमशान देख रो दिया भगवान

इम्तहान, इम्तहान, इंसानियत का आज इम्तहान
(इम्तहान, इम्तहान, इंसानियत का आज इम्तहान)
टूटे दिल को जो सँभाले, डूबते को को जो बचा ले
टूटे दिल को जो सँभाले, डूबते को को जो बचा ले

काम आए औरों के, वो ही तो है इंसान

इम्तहान, इम्तहान, इंसानियत का आज इम्तहान
(इम्तहान, इम्तहान, इंसानियत का आज इम्तहान)

इम्तहान, इम्तहान, इम्तहान



Credits
Writer(s): Bappi Lahiri, Indeewar
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