Ghar Mein Aake Loot Liya

लगा के हाथों में मेहँदी हलाल कर डाला
बना के मस्त मुझे बाए माल कर डाला

किसी ने मुझको मेरे घर में आ के लूट लिया
किसी ने मुझको मेरे घर में आ के लूट लिया
लूट लिया, लूट लिया, लूट लिया
किसी ग़रीब को घर में बुला के लूट लिया
किसी ग़रीब को घर में बुला के लूट लिया

कोई उम्मीद ना हसरत, ना कुछ तमन्ना थी
अँधेरा छाया था, सुनसान दिल की दुनिया थी

चराग़ प्रेम का तुम ने जला के लूट लिया
चराग़ प्रेम का तुम ने जला के लूट लिया
लूट लिया, लूट लिया, लूट लिया
किसी ने मुझको मेरे घर में आ के लूट लिया

हवास-ओ-होश ना रहते ये माजरा होता
जो शक्ल देख ही लेते ना जाने क्या होता

सदा हुज़ूर ने अपनी सुना के लूट लिया
सदा हुज़ूर ने अपनी सुना के लूट लिया
लूट लिया, लूट लिया, लूट लिया
किसी ग़रीब को घर में बुला के लूट लिया

हो, ज़माने-भर से मैं कह दूँगी, तुम ने चोरी की
और ऐसी चोरी कि चोरी भी सीना-ज़ोरी की

कि सोने वाले को तुम ने जगा के लूट लिया
कि सोने वाले को तुम ने जगा के लूट लिया
लूट लिया, लूट लिया, लूट लिया
किसी ने मुझको मेरे घर में आ के लूट लिया
किसी ने मुझको मेरे घर में आ के लूट लिया



Credits
Writer(s): Chitalkar Ramchandra, Noor Lucknowi
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