Salaam-E-Ishq

इश्क़ वालों से ना पूछो कि उनकी रात आलम
तन्हा कैसे गुज़रता है
जुदा हो हमसफ़र जिसका वो उसको याद करता है
ना हो जिसका कोई वो मिलने की फ़रियाद करता है

सलाम-ए-इश्क़ मेरी जाँ ज़रा कुबूल कर लो
सलाम-ए-इश्क़ मेरी जाँ ज़रा कुबूल कर लो
तुम हमसे प्यार करने की ज़रा सी भूल कर लो
मेरा दिल बेचैन है
मेरा दिल बेचैन है हमसफ़र के लिए
मेरा दिल बेचैन है हमसफ़र के लिए

सलाम-ए-इश्क़ मेरी जाँ ज़रा कुबूल कर लो
तुम हमसे प्यार करने की ज़रा सी भूल कर लो
मेरा दिल बेचैन है हमसफ़र के लिए
मेरा दिल बेचैन है हमसफ़र के लिए
सलाम-ए-इश्क़ मेरी जाँ ज़रा कुबूल कर लो

मैं सुनाऊँ तुम्हें बात एक रात की
मैं सुनाऊँ तुम्हें बात एक रात की
चाँद भी अपनी पूरी जवानी पे था
दिल में तूफ़ान था, एक अरमान था
दिल का तूफ़ान अपनी रवानी पे था

एक बादल उधर से चला झूम के
एक बादल उधर से चला झूम के
देखते-देखते चाँद पर छा गया
चाँद भी खो गया उसकी आगोश में
उफ़, ये क्या हो गया जोश ही जोश में

मेरा दिल धड़का
मेरा दिल तड़पा किसी की नज़र के लिए
मेरा दिल तड़पा किसी की नज़र के लिए
सलाम-ए-इश्क़ मेरी जाँ ज़रा कुबूल कर लो

हाँ, हाँ, इसके आगे की अब दास्ताँ मुझसे सुन
सुन के तेरी नज़र डबडबा जाएगी
बात दिल की जो अब तक तेरे दिल में थी
मेरा दावा है होंठों पे आ जाएगी

तू मसीहा मोहब्बत के मारों का है
मसीहा, मसीहा मोहब्बत के मारों का है
तू मसीहा मोहब्बत के मारों का है
हम तेरा नाम सुन के चले आएँ है

अब दवा दे हमें या तू दे-दे ज़हर
तेरी महफ़िल में ये दिल जले आए हैं
एक एहसान कर, एहसान कर
एक एहसान कर अपने मेहमान पर
अपने मेहमान पर एक एहसान कर

दे दुआएँ...
दे दुआएँ तुझे उम्र भर के लिए
दे दुआएँ तुझे उम्र भर के लिए

सलाम-ए-इश्क़ मेरी जाँ ज़रा कुबूल कर लो
तुम हमसे प्यार करने की ज़रा सी भूल कर लो
मेरा दिल बेचैन है हमसफ़र के लिए
मेरा दिल बेचैन है हमसफ़र के लिए
सलाम-ए-इश्क़ मेरी जाँ ज़रा कुबूल कर लो



Credits
Writer(s): Kalyanji-anandji, Prakash Mehra
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