Sifar - 1

Roko Na Mujhe

कभी कभी में यह सोचता हूँ
क्यूँ में खुद से खफा हूँ
आगे बढ कर जा पहुचुं में
उस पार मेरा गाँव

हर कोई टोकता है
बदने से रोकता है मुझे
ठहरे ठहरे कदम हैं
कैसे ढूंडू में अपनी रहे

ना ना ना ना
रोको ना रोको ना मुझे
ना ना ना ना
चूने दो आसमान मुझे
भूलना है
जो भी तुमने सिखाया मुझे
ना ना ना ना
रोको ना रोको ना मुझे

ख़ामोशी में चीखता हूँ
टुकड़ा टुकड़ा बटा हूँ
आएने के दायरों में
सिमटा सा क्यूँ में खड़ा हूँ

कहीं पीछे भूल आया
अपना एक छोटा साया
मुझसे वो पूछता है
उसे खो के क्या मैंने पाया

ना ना ना ना
रोको ना रोको ना मुझे
ना ना ना ना
चूने दो आसमान मुझे
भूलना है
जो भी तुमने सिखाया मुझे
ना ना ना ना
रोको ना रोको ना मुझे



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