Kya Tujh Pe Nazm Likhon

क्या तुझपे नज़्म लिखूँ, और कैसा गीत लिखूँ
जब तेरी तारीफ़ करूँ, सुर-ताल में मीत लिखूँ

"कलावती" में तेरी छवि है, मुखड़ा रूप का दर्पण
तेरे लबों के रंग में पाए, मैंने "लाली अमन"

हवा में उड़ती लट का स्वागत करती "जयजयवंती"
महका-महका, खिला-खिला सा तेरा रंग बसंती

बाली कमर पे जैसे "पहाड़ी" पर घनघोर घटाएं
"मेघ" से नैना सावन भादों, प्रेम का रस बरसाये

तेरी "सोहनी" मोहनी सूरत, कोमल कंचन काया
जान-ए- ग़ज़ल किस्मत से पायी, तेरे हुस्न की "छाया"

जिसमें सुखन "रागेश्वरी", रूहे-संगीत लिखूँ
क्या तुझपे नज़्म लिखूँ, और कैसा गीत लिखूं

तेरी "धानर" चुनरिया लहरे, जैसे मधुर बयार
प्यार का गुलशन महका-महका, तुझसे जाने बहार

तेरी एक झलक है "काफ़ी", मुझको जान से प्यारी
चाल नशीली देखकर तेरी, रख्श करें "दरबारी"

सर से पाँव तलक दिलकश, अंदाज तेरा "शहाना"
तू मेरी "गुलकली" है जानम, मैं तेरा हूँ दीवाना

तेरी चाहत दिल मे लेकर, घूमा देश-विदेश
तुझसे जब भी दूर रहा हूँ, धारा "जोगिया" भेस

सदा सुहागन "भैरवी" तुझको, प्रीत की रीत लिखूं
क्या तुझपे नज़्म लिखूं, और कैसा गीत लिखूँ
जब तेरी तारीफ़ करूं, सुरताल में मीत लिखूँ।



Credits
Writer(s): Ahmed Hussain, Mohd. Hussain
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