Kahan Ho Tum Zara Awaz Do

कहाँ हो तुम? ज़रा आवाज़ दो, हम याद करते हैं
कभी भरते हैं आहें और कभी फ़रियाद करते हैं
कहाँ हो तुम? ज़रा आवाज़ दो

जुदा बुलबुल है अपने फूल से और रो के कहती है
जुदा बुलबुल है अपने फूल से और रो के कहती है

"अरी, दुनिया, किया वो ज़ुल्म जो सय्याद करते हैं"
कहाँ हो तुम? ज़रा आवाज़ दो

जहाँ हैं और अब जिस हाल में हैं, हम तुम्हारे हैं
जहाँ हैं और अब जिस हाल में हैं, हम तुम्हारे हैं
तुम्हीं आबाद हो दिल में, तुम्हीं को याद करते हैं

कहाँ हो तुम? ज़रा आवाज़ दो, हम याद करते हैं

हमारी बेबसी ये है कि हम कुछ कह नहीं सकते
हमारी बेबसी ये है कि हम कुछ कह नहीं सकते

वफ़ा बदनाम होती है अगर फ़रियाद करते हैं
कहाँ हो तुम? ज़रा आवाज़ दो

तेरे क़दमों में रहने की तमन्ना दिल में रखते हैं
तेरे क़दमों में रहने की तमन्ना दिल में रखते हैं

जुदा दुनिया ने हमको कर दिया, फ़रियाद करते हैं
कहाँ हो तुम? ज़रा आवाज़ दो, हम याद करते हैं
कहाँ हो तुम?



Credits
Writer(s): Roshan, Kaif Irfani
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