Gham Ki Andheri Raat Mein

ग़म की अँधेरी रात में दिल को ना बेक़रार कर
सुबह ज़रूर आएगी, सुबह का इंतज़ार कर
ग़म की अँधेरी रात में...

दर्द हैं सारी ज़िन्दगी, जिसका कोई सिला नहीं
दिल को फ़रेब दीजिए, और ये हौसला नहीं
और ये हौसला नहीं

खुद से तो बदगुमाँ ना हो, खुद पे तो ऐतबार कर
सुबह ज़रूर आएगी, सुबह का इंतज़ार कर
ग़म की अँधेरी रात में...

खुद ही तड़प के रह गए, दिल की सदा से क्या मिला
आग से खेलते रहे, हमको वफ़ा से क्या मिला
हमको वफ़ा से क्या मिला

दिल की लगी बुझा ना दे, दिल की लगी से प्यार कर
सुबह ज़रूर आएगी, सुबह का इंतज़ार कर

ग़म की अँधेरी रात में दिल को ना बेक़रार कर
सुबह ज़रूर आएगी, सुबह का इंतज़ार कर
ग़म की अँधेरी रात में...



Credits
Writer(s): Jan Nisar Akhtar, C Arjun
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