Kuch Naa Kaho

हलकी-हलकी मुलाकातें थी

दूर-दूर से बात्तें थी

हलकी-हलकी मुलाकातें थी
दूर-दूर से बात्तें थी
धीरे-धीरे क्या होगया हैं
मैं क्या कहु?
क्यूँ लड़खड़ाए धड़कन?
क्यूँ थर थराएँ तन मंन?
मैं क्या कहु?
क्या लड़खड़ाए धड़कन?
क्यूँ थर थराये तन मन?
क्यूँ होश मेरा यु खो गया हैं?
मैं क्या कहु?

कुछ ना कहो, कुछ ना कहो
कुछ ना कहो, कुछ ना कहो

सब मेरे दिन सब रातें
तुम्हारे ख़यालों में रेह्ते है गुम

केहनि है तुमसे जो बातें
बैठो ज़रा अब सुन भी लो तुम
क्या मेरे ख्वाब है
क्या है मेरी आरज़ू
तुम से ये दास्तान
क्यूँ ना कहो रूबरू

कुछ ना कहो
कुछ ना कहो
कुछ ना कहो
कुछ ना कहो

हो जज़्बात जीतने है दिल में
मेरे ही जैसे है वो बे ज़बान
जो तुमसे मैं केह ना पाई
केहति है वो मेरी खामोशियाँ

सुन सको तो सुनो
वो जो मैने कहा नहीं
सच तो है केहने को
अब कुछ रहा नहीं

कुछ ना कहो, कुछ ना कहो
कुछ ना कहो, कुछ ना कहो
हल्की हल्की मुलाक़ाते थी

दूर दूर से बातें थी

धीरे धीरे क्या होगया है
मैं क्या कहूँ
क्यूँ लड़खड़ाए धड़कन
क्यूँ थर थराएँ तन मंन
क्यूँ होश मेरा यू खोगया है
मैं क्या कहूँ
कुछ ना कहो, कुछ ना कहो
कुछ ना कहो, कुछ ना कहो



Credits
Writer(s): Javed Akhtar, Ehsaan Loy Shankar, Shankar, N/a Loy
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link