Mere Khayal Ki Vaadi

मेरे ख़याल की वादी है नग़्मा-ज़न तुझसे
मेरे ख़याल की वादी है नग़्मा-ज़न तुझसे
सजी हुई है मेरे दिल की अंजुमन तुझसे
मेरे ख़याल की वादी है नग़्मा-ज़न तुझसे

तुझे बहार कहूँ या निगार-ए-सुब्ह-ओ-चमन?
तुझे बहार कहूँ या निगार-ए-सुब्ह-ओ-चमन?
गुलों में रंग गुलिस्ताँ में बाँकपन तुझसे
सजी हुई है मेरे दिल की अंजुमन तुझसे
मेरे ख़याल की वादी है नग़्मा-ज़न तुझसे

तेरे तबस्सु में लब से चटकते हैं ग़ुंचे
तेरे तबस्सु में लब से चटकते हैं ग़ुंचे
फ़िज़ा-ए-बाग़ का रंगीं पैरहन तुझसे
सजी हुई है मेरे दिल की अंजुमन तुझसे
मेरे ख़याल की वादी है नग़्मा-ज़न तुझसे

मेरे ख़याल की वादी है नग़्मा-ज़न तुझसे



Credits
Writer(s): Raghunath Seth, Rifat Sarosh
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