Yeh Parbaton Ke Daire (Revival)

ये पर्बतों के दायरे, ये शाम का धुआँ
ऐसे में क्यों न छेड़ दें दिलों की दास्ताँ
ये पर्बतों के दायरे, ये शाम का धुआँ
ऐसे में क्यों न छेड़ दें दिलों की दास्ताँ
ये पर्बतों के दायरे, ये शाम का धुआँ

ज़रा सी ज़ुल्फ़ खोल दो, फ़िज़ा में इत्र घोल दो
नज़र जो बात कह चुकी, वो बात मुँह से बोल दो
कि झूम उठे निगाह में बहार का समाँ
ये पर्बतों के दायरे, ये शाम का धुआँ
ऐसे में क्यों न छेड़ दें दिलों की दास्ताँ
ये पर्बतों के दायरे, ये शाम का धुआँ

ये चुप भी एक सवाल है, अजीब दिल का हाल है
हर इक ख़याल खो गया, बस अब यही ख़याल है
कि फ़ासला न कुछ रहे हमारे दर्मियाँ
ये पर्बतों के दायरे, ये शाम का धुआँ
ऐसे में क्यों न छेड़ दें दिलों की दास्ताँ
ये पर्बतों के दायरे, ये शाम का धुआँ

ये रूप रंग, ये फबन, चमक्ते चाँद सा बदन
बुरा न मानो तुम अगर, तो चूम लूँ किरण किरण
कि आज हौसलों में है बला की गर्मियाँ
ये पर्बतों के दायरे,ये शाम का धुआँ,
ऐसे में क्यों न छेड़ दें दिलों की दास्ताँ
ये पर्बतों के दायरे ये शाम का धुआँ



Credits
Writer(s): Chitragupta, Ludiavani Sahir
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link