Phool Ahista Phenko

कहा आपका ये दागा ही सही
के हम बेकदर बेवफा ही सही
बड़े शौक से जाइए छोड़ कर
मगर सेहने गुलशन से यूं तोड़ कर
फूल आहिस्ता फेंको
फूल आहिस्ता फेंको
फूल बड़े नाज़ुक होते हैं
फूल आहिस्ता फेंको
फूल बड़े नाज़ुक होते हैं
वैसे भी तो ये बदकिस्मत
नोक पे काँटों की सोते हैं
फूल आहिस्ता. हा आहिस्ता फेंको
फूल बड़े नाज़ुक होते हैं
फूल आहिस्ता फेंको

बड़ी खुबसूरत शिकायत है ये
बड़ी खुबसूरत शिकायत है ये
मगर सोचिये क्या शराफत है ये
जो औरों का दिल तोड़ते रहते हैं
लगी चोट उनको तो ये कहते हैं, तो ये कहते हैं
के फूल आहिस्ता, आहिस्ता फेंको
फूल बड़े नाज़ुक होते हैं
जो रुलाते हैं लोगों को एक दिन खुद भी रोते हैं

फूल आहिस्ता फेंको

किसी शोक को बाग़ की सैर में
किसी शोक को बाग़ की सैर में
जो लग जाए काँटा कोई पैर में
ख़फ़ा हुस्न फ़ूलों से हो किस लिए
ये मासूम है बे-खता इस लिए, बे-खता इस लिए
फूल आहिस्ता, आहिस्ता फेंको
फूल बड़े नाज़ुक होते हैं

ये करेंगे कैसे घायल, ये तो खुद घायल होते हैं
फूल आहिस्ता फेंको

गुलों के बड़े आप हमदर्द हैं
गुलों के बड़े आप हमदर्द हैं
भला क्यों न हो, आप भी मर्द हैं
हज़ारों सवालों का है इक जवाब
फरेब-ए-नज़र ये न हो ए जनाब
फूल आहिस्ता, आहिस्ता फेंको
फूल बड़े नाज़ुक होते हैं
सब जिसे कहते हैं शबनम, फुटते आंसू होते हैं
फूल आहिस्ता फेंको
फूल बड़े नाज़ुक होते हैं
फूल आहिस्ता फेंको



Credits
Writer(s): Laxmikant-pyarelal, Anand Bakshi
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