Aye Maalik Tere Bande Hum

ऐ, मालिक, तेरे बंदे हम
ऐसे हों हमारे करम
नीति पर चलें और बदी से टलें
ताकि हँसते हुए निकले दम
ऐ, मालिक, तेरे बंदे हम

ये अँधेरा घना छा रहा
तेरा इंसान घबरा रहा
हो रहा बेख़बर, कुछ ना आता नज़र
सुख का सूरज छुपा जा रहा

है तेरी रोशनी में जो दम
तू अमावस को कर दे पूनम
नीति पर चलें और बदी से टलें
ताकि हँसते हुए निकले दम
ऐ, मालिक, तेरे बंदे हम

जब ज़ुल्मों का हो सामना
तब तू ही हमें थामना
वो बुराई करें, हम भलाई भरें
नहीं बदले की हो कामना

बढ़ उठे प्यार का हर क़दम
और मिटे बैर का ये भरम
नीति पर चलें और बदी से टलें
ताकि हँसते हुए निगले दम
ऐ, मालिक, तेरे बंदे हम



Credits
Writer(s): Bharat Vyas, Vasant Shantaram Desai
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