Zara Si Chot

ज़रा सी चोट को महसूस करके टूट जाते हैं
ज़रा सी चोट को महसूस करके टूट जाते हैं
सलामत आईने रहते हैं, चेहरे टूट जाते हैं
सलामत आईने रहते हैं, चेहरे टूट जाते हैं
ज़रा सी चोट को महसूस करके टूट जाते हैं

पनपते हैं यहाँ रिश्ते हिजाबों-एहतियातों में
पनपते हैं यहाँ रिश्ते हिजाबों-एहतियातों में

बहुत बेबाक होते हैं...
बहुत बेबाक होते हैं तो रिश्ते टूट जाते हैं
ज़रा सी चोट को महसूस करके टूट जाते हैं

गुज़ारिश अब बुज़ुर्गों से यही करना मुनासिब है
गुज़ारिश अब बुज़ुर्गों से यही करना मुनासिब है

ज़ियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं
ज़ियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं
ज़रा सी चोट को महसूस करके टूट जाते हैं

दिखाते ही नहीं जो मुद्दतों तिश्ना-लबी अपनी
दिखाते ही नहीं जो मुद्दतों तिश्ना-लबी अपनी

सुबू के सामने आ कर वो प्यासे टूट जाते हैं
सुबू के सामने आ कर वो प्यासे टूट जाते हैं
ज़रा सी चोट को महसूस करके टूट जाते हैं
सलामत आईने रहते हैं, चेहरे टूट जाते हैं
ज़रा सी चोट को महसूस करके टूट जाते हैं



Credits
Writer(s): Ahsan Ahmed, Pawan Kumar
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