Patthar Ko

पत्थर को कुचलो तो पैर ही कुचलेगा
ख़ंजर में चाकू दे, धार ही टूटेगा

क्रिया तो किया तो प्रतिक्रिया होगा
दलदल में उतरा तो क्यूँ ना तू धसेगा?
घुटनों के बल पर कब तक कौन चलेगा
कभी तो उठेगा, फिर बस तू लड़ेगा

पत्थर को कुचलो तो पैर ही कुचलेगा
ख़ंजर में चाकू दे, धार ही टूटेगा
कोई क्या करेगा जिसके हाथों में दो कुल्हाडी
पूजा तो करेगा नहीं, मारेगा दिन-दहाड़े

रक्त, रक्त, रक्त, रक्त, रक्त
रक्त, रक्त, रक्तचरित्रा
रक्त, रक्त, रक्त, रक्त, रक्त
रक्त, रक्त, रक्तचरित्रा

पहले बूँद-बूँद था, पर अब सख़्त
पूरी है क्रूरता, जो माफ़ी है मूर्खता
दर्द क्या रुका है कभी, दर्द से ये बता
दर्द क्या रुका है कभी, दर्द से ये बता

राह चिंगारियों से तूफ़ाँ जलती नहीं
बिच राह गोलियाँ भी दिशा बदलती नहीं
ज़हर दिया तो वही रगों में दौड़ेगा
ज़हर दिया तो वही रगों में दौड़ेगा

घायल ही होगा जो भी इसको निचोड़ेगा
ख़ुद घाव पाए बिना क्या किसी को चोट देगा
क़तरों के निस्चय से चट्टान खोद देगा
क्रिया तो किया तो प्रतिक्रिया होगा
दलदल में उतरा तो क्यूँ ना तू धसेगा?



Credits
Writer(s): Sarim Momin
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