Kehta Hai Baabul

कहता है बाबुल, "ओ, मेरी बिटिया
तू तो है मेरे जिगर की चिट्ठिया"
कहता है बाबुल, "ओ, मेरी बिटिया
तू तो है मेरे जिगर की चिट्ठिया"

डाकिया कोई जब आएगा
तुझको चुरा के ले जाएगा

कटेगा कैसे लम्हा तेरे बिना, बता?
जिऊँगा कैसे तन्हा तेरे बिना, बता?
कटेगा कैसे लम्हा तेरे बिना, बता?
जिऊँगा कैसे तन्हा तेरे बिना, बता?

तू सुहागन रहे, संग साजन रहे रात-दिन
इस ख़ुशी के लिए हर सितम मैं उठा लूँगा
तेरे जाने का ग़म मुझको होगा, मगर, लाड़ली
लेके इस दर्द को मैं सदा मुस्कुराऊँगा

बाबुल तो दिल से दे रहा दुआ यही
ख़ुशी के साए में हो ज़िंदगी तेरी
बाबुल तो दिल से दे रहा दुआ यही
ख़ुशी के साए में हो ज़िंदगी तेरी

वक़्त के साथ ज़ख़्म ये भर जाएगा
पल गुज़र जाएगा, तू मेरी बात मन ले
यादों के आसरे उम्र कटती नहीं
है हक़ीक़त यही, अब तू जान ले

समंदरों का पानी कोई ना पी सका
अकेला ख़ारा जीवन कोई ना जी सका
समंदरों का पानी कोई ना पी सका
अकेला ख़ारा जीवन कोई ना जी सका

कहता है बाबुल, "ओ, मेरी बिटिया
तू तो है मेरे जिगर की चिट्ठिया"
डाकिया कोई जब आएगा
तुझको चुराके ले जाएगा

कटेगा कैसे लम्हा तेरे बिना, बता?
जिऊँगा कैसे तन्हा तेरे बिना, बता?
कटेगा कैसे लम्हा तेरे बिना, बता?
जिऊँगा कैसे तन्हा तेरे बिना, बता?



Credits
Writer(s): Sameer
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