Maa Tujhe Dhundun Kahan

माँ

माँ, तुझे ढूँढूँ कहाँ?
माँ, तुझे ढूँढूँ कहाँ?

मैंने ममता को पहचाना
मैं बच्चों के दर्द को जाना
तुझ को खो कर, माँ

माँ, तुझे ढूँढूँ कहाँ?
माँ, तुझे ढूँढूँ कहाँ? माँ

माँ एक जैसी होती है
बच्चे एक जैसे होते हैं

माँ एक जैसी होती है
बच्चे एक जैसे होते हैं
चोट लगे तो इंसानों की
तरह पशु भी रोते हैं

बिछड़े हुओं को मैंने मिलाया
मैंने अपना क़र्ज़ चुकाया
तुझ को खो कर, माँ

माँ, तुझे ढूँढूँ कहाँ?
माँ, तुझे ढूँढूँ कहाँ? माँ

तू सच कहती थी, किसी की
बद-दुआ लग जाती है

तू सच कहती थी, किसी की
बद-दुआ लग जाती है
अपनी ही बंदूक से गोली
ख़ुद पे भी चल जाती है

मैंने कैसा खेल ये खेला
रोऊँ बैठा आज अकेला
तुझ को खो कर, माँ

माँ, तुझे ढूँढूँ कहाँ?
माँ, तुझे ढूँढूँ कहाँ?

मैंने ममता को पहचाना
मैं बच्चों के दर्द को जाना
तुझ को खो कर, माँ

माँ, तुझे ढूँढूँ कहाँ?
माँ, तुझे ढूँढूँ कहाँ? माँ



Credits
Writer(s): Anand Bakshi, Kudalkar Laxmikant, Pyarelal Ramprasad Sharma
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