Ruk Jana Nahin (From "Imtihan")

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चल के मिलेंगे साये बहार के
रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चल के मिलेंगे साये बहार के

ओ राही, ओ राही
ओ राही, ओ राही
ओ राही, ओ राही
ओ राही, ओ राही

सूरज देख रुक गया है
तेरे आगे झुक गया है
सूरज देख रुक गया है
तेरे आगे झुक गया है

जब कभी एसे कोई मस्ताना
निकले है अपनी धुन में दीवाना
शाम सुहानी बन जाते हैं, दिन इंतज़ार के

ओ राही, ओ राही
ओ राही, ओ राही

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चल के मिलेंगे साये बहार के

ओ राही, ओ राही
ओ राही, ओ राही
ओ राही, ओ राही
ओ राही, ओ राही

साथी ना कारवाँ है
ये तेरा इम्तिहाँ है
साथी ना कारवाँ है
ये तेरा इम्तिहाँ है

यूँ ही चला चल दिल के सहारे
करती है मंज़िल तुझको इशारे
देख कहीं कोई रोक नहीं ले तुझको पुकार के

ओ राही, ओ राही
ओ राही, ओ राही

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चल के मिलेंगे साये बहार के

ओ राही, ओ राही
ओ राही, ओ राही
ओ राही, ओ राही
ओ राही, ओ राही

नैन आँसू जो लिए हैं
ये राहों के दीये हैं
नैन आँसू जो लिए हैं
ये राहों के दीये हैं

लोगों को उनका सबकुछ दे के
तू तो चला था सपने ही ले के
कोई नहीं तो तेरे अपने हैं सपने ये प्यार के

ओ राही, ओ राही
ओ राही, ओ राही

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चल के मिलेंगे साये बहार के

ओ राही, ओ राही
ओ राही, ओ राही
ओ राही, ओ राही
ओ राही, ओ राही



Credits
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, Laxmikant Pyarelai
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