Insaaf ka mandir hai yeh (From "Amar'')

इंसाफ़ का मंदिर है ये

भगवान का घर है

इंसाफ़ का मंदिर है ये, भगवान का घर है
कहना है जो, कह दे, तुझे किस बात का डर है?

है पास तेरे जिसकी अमानत, उसे दे-दे
है पास तेरे जिसकी अमानत, उसे दे-दे
निर्धन भी है...
निर्धन भी है इंसान, मोहब्बत उसे दे-दे, मोहब्बत उसे दे-दे

जिस दर पे सभी एक हैं, बंदे, ये वो दर है
इंसाफ़ का मंदिर है ये, भगवान का घर है

मायूस ना हो हार के तक़दीर की बाज़ी
प्यारा है वो ग़म, जिसमें हो भगवान भी राज़ी
दुख-दर्द मिले...
दुख-दर्द मिले जिसमें वही प्यार अमर है, वही प्यार अमर है

ये सोच ले हर बात कि दाता को ख़बर है
(इंसाफ़ का मंदिर है ये, भगवान का घर है)

(इंसाफ़ का मंदिर है ये, भगवान का घर है)



Credits
Writer(s): Shakeel Badayuni, Naushad
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