Sukh Ke Sab Saathi (From "Gopi")

सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई
मेरे राम, तेरा नाम एक साँचा दूजा ना कोई

जीवन आनी जानी छाया, झूठी माया, झूठी काया
फिर काहे को सारी उमरियाँ पाप की गठड़ी ढोई

ना कुछ तेरा, ना कुछ मेरा, ये जग जोगीवाला फेरा
राजा हो या रंक सभी का अंत एक सा होई

बाहर की तू माटी फाँके, मन के भीतर क्यों ना झाँके
उजले तन पर मान किया और मन की मैल ना धोई



Credits
Writer(s): Rajinder Krishan, Anandji V Shah, Kalyanji Virji Shah
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