Ghazal - Phir Usi Raahguzar Par Shaaya (with Sultan Khan)

प्यार की राह पे चलना सीख,
इश्क की चाह में जलना सीख।

साँसों में मेरे जो है रहता सदा,
तू भी कभी मेरा यूँ बनना सीख।

रात करती रहे अंधेरों से भले गुफ़्तगू,
तू सूरज-सा दिन में सदा जलना सीख।

है हर बात जो कही मैंने तुझे,
तू अब तो उसपे अमल करना सीख।
घड़ी भर का है ये सफर यहाँ,
घड़ी भर तो मुझे खुश रखना सीख।

चाँद-सितारों से रख अब कुछ फासले,
चराग़ की मिट्टी-सा यूँ गलना सीख।

बोल दे मेरे सब लफ्ज़ हैं फ़िज़ूल,
पर कहते हुए दिल पे हाथ रखना सीख



Credits
Writer(s): Ghulam Ali, Sultan Khan
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