Lamha Khushi Ka

लमहा खुशी का कहाँ खो गया?
सोचा था क्या, और क्या हो गया
लमहा खुशी का कहाँ खो गया?
सोचा था क्या, और क्या हो गया

आँखों से आँसू छलके, भीगी हैं क्यूँ ये पलकें?
आँखों से आँसू छलके, भीगी हैं क्यूँ ये पलकें?
टूटा हूँ मैं इस तरह, तारा गिरे जिस तरह

लमहा खुशी का कहाँ खो गया?
सोचा था क्या, और क्या हो गया

हाथों से मेरे रेत की मानिंद साएँ फिसलने लगे
इस दौर में मौसम की तरह रिश्ते बदलने लगे

ये लमहें आएँ क्यूँ हैं? अपने पराए क्यूँ हैं?
ये लमहें आएँ क्यूँ हैं? अपने पराए क्यूँ हैं?
क्यूँ ख़्वाब ऐसे पिघले? नींदों से आगे निकले

पहरे लगाती रही ज़िन्दगी क्यूँ मेरी तक़दीर पे?
हर लमहा तेज़ाब गिरता रहा ख़ाबों की तस्वीर पे

हो, छाएँ हैं ग़म के बादल, कर दे ना मुझको पागल
छाएँ हैं ग़म के बादल, कर दे ना मुझको पागल
ज़िन्दगी लगे अब क़ज़ा, जीने की दे-दे तू वजह, तू वजह

लमहा खुशी का कहाँ खो गया?
सोचा था क्या, और क्या हो गया



Credits
Writer(s): Rashid Khan, Tanveer Ghazi
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link