Kadam Zara

कदम ज़रा आहिस्ता रखो तुम
कदम ज़रा आहिस्ता रखो तुम
राहों में कितने दिल बिछे हैं
तुम्हारी नज़र की है बात सारी

तुम्हारी नज़र की है बात सारी
साँसों को रोके सब खड़े हैं
कदम ज़रा आहिस्ता रखो तुम

जो होश में ही नहीं थे बेचारे
उन्हें होश में लेके आए हो तुम
क्यूँ?
नहीं है ये अच्छा, इतना सितम भी

साँसे यूँ सबकी, रुकाये हो तुम
क्यूँ?
कदम ज़रा आहिस्ता रखो तुम

कभी वक़्त जब भी पलटेगा पन्ने
सरारत भी ये याद आएगी तुमको
ये इतना भी चिढ़ना अच्छा नहीं है

ये बातें कभी गुदगुदाएगी तुमको
कदम ज़रा आहिस्ता रखो तुम



Credits
Writer(s): Rushi Vakil, Anil Jeengar
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