Ek Ek Akh Meri Sava - Sava Lakh

इक-इक अँख मेरी सव्वा-सव्वा लाख की
मीठी-मीठी बतियों में खुसबू गुलाब की
तूने, हाय, कदर मेरी, अरे, जानी नहीं
तूने, हाय, कदर मेरी, अरे, जानी नहीं
प्यासी नज़र मेरी पहचानी नहीं

इक-इक अँख मेरी सव्वा-सव्वा लाख की
मीठी-मीठी बतियों में खुसबू गुलाब की
तूने, हाय, कदर मेरी, अरे, जानी नहीं
तूने, हाय, कदर मेरी, अरे, जानी नहीं
प्यासी नज़र मेरी पहचानी नहीं

ए, जी देखो कि आज मैं नए फैसन में ढल गई
नए फैसन में ढल गई
लोगों का रंग देख के मैं भी मचल गई

देखो कि सैयाँ तुम्हरे ही कारण कैसी बदल गई
मैं सब को पीछे छोड़ के आगे निकल गई
आगे निकल गई

मैंने वही किया जो तेरी मर्ज़ी है
फिर भी कोई मेरी कदरदानी नहीं
फिर भी कोई मेरी कदरदानी नहीं
प्यासी नज़र मेरी पहचानी नहीं
इक-इक अँख मेरी सव्वा-सव्वा लाख की

अपनों का ग़म नहीं कोई, दुनिया का डर मुझे
करती रहूँगी मैं वही जिस में तू खुस रहे
संगम यही है प्यार का, कोई भी कुछ कहें
जमुना के साथ-साथ में गंगा किधर बहें?
गंगा किधर बहें?

'गर ले कलाई यही रीत प्यार की है
पिया, आ यहाँ कोई परेशानी नहीं
पिया, आ यहाँ कोई परेशानी नहीं
प्यासी नज़र मेरी पहचानी नहीं

इक-इक अँख मेरी सव्वा-सव्वा लाख की
मीठी-मीठी बतियों में खुसबू गुलाब की
तूने, हाय, कदर मेरी, अरे, जानी नहीं
तूने, हाय, कदर मेरी, अरे, जानी नहीं
प्यासी नज़र मेरी पहचानी नहीं



Credits
Writer(s): Anand Bakshi
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