Jaya He

जन्मभूमि के सपूत बोलते चले
जय हे!
जय हे!
जय हे!
जय हे!
आज सारी बेड़ियों को खोलते चले
जय हे!
जय हे!
जय हे!
जय हे!

इस जमीं पर दुश्मनो के पैर है जमें
एक एक पैर को उठाने चल दिए
पैर तोह क्या पैरों के निशान भी न रहे
दुश्मनो का हर निशाँ मिटाने चल दिए
ऊँटों पे यह नारा लेके डोलते चले
जय हे!
जय हे!
जय हे!
जय हे!
जय हे!
जय हे!
जय हे!
जय हे!
एक एक बात का हिसाब मांगने
चल पड़े सवालों के जवाब माँगने
राह आती मुश्किलों से खेलते चले
पर्वतों को भी परे ढकेलते चले
शब्द शब्द वह जुबान खोलते चले
जय हे!
जय हे!
जय हे!
जय हे!
जय हे!
जय हे!
जय हे!
जय हे!

जय हे!
जय हे!

जन्मभूमि स्वर्ग से कहीं हसीं है
इसकी एक एक बात बेहतरीन है
खो गया है मान जो दिलाने चल दिए
इसकी वही शान फिर बनाने चल दिए
साँस में बंधी हवा को खोलते चले
जय हे!
जय हे!
जय हे!
जय हे! (जय हे!)
जय हे!
जय हे!
जय हे!
जय हे! (हे!)
जय हे!
जय हे! (जय हे!)
जय हे!
जय हे! (जय हे!)
जय हे!
जय हे!
जय हे! (जय हे!)
जय हे! (जय हे!)
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी



Credits
Writer(s): Munna Dhiman
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