Sehra

क्यूँ है सहरा सी कोई प्यास लिए तू? ऐ मेरे हमदम
मेरी आग़ोश में आ, दूँ मैं तुझे भीगा सा एक मौसम
क्यूँ है सहरा सी कोई प्यास लिए तू? ऐ मेरे हमदम
मेरी आग़ोश में आ, दूँ मैं तुझे भीगा सा एक मौसम

अपनी ज़ुल्फ़ें मेरे सीने पे बिख़र जाने दे
आज मेरा मुक़द्दर सँवर जाने दे
अपनी ज़ुल्फ़ें मेरे सीने पे बिख़र जाने दे
आज मेरा मुक़द्दर सँवर जाने दे

तेज़ होती हैं तो हो जाने दे
तेज़ होती हैं तो हो जाने दे
आज तेरे-मेरे दिल की धड़कन

क्यूँ है सहरा सी कोई प्यास लिए तू? ऐ मेरे हमदम
मेरी आग़ोश में आ, दूँ मैं तुझे भीगा सा एक मौसम

मैं हूँ कब ग़ैर? मुझसे ये दूरी क्यूँ है?
मेरे होते तू इतनी अधूरी क्यूँ है?
मैं हूँ कब ग़ैर? मुझसे ये दूरी क्यूँ है?
मेरे होते तू इतनी अधूरी क्यूँ है?

आज भर ले तू मेरे एहसास से
आज भर ले तू मेरे एहसास से
ज़िंदगी का तेरी हर अधूरापन

क्यूँ है सहरा सी कोई प्यास लिए तू? ऐ मेरे हमदम
मेरी आग़ोश में आ, दूँ मैं तुझे भीगा सा एक मौसम
क्यूँ है सहरा सी कोई प्यास लिए तू? ऐ मेरे हमदम
मेरी आग़ोश में आ, दूँ मैं तुझे भीगा सा एक मौसम



Credits
Writer(s): Sayeed Quadri
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