Raah Ka Khof Hai

राह का ख़ौफ़ है, जंगल है, उजाले कम हैं
सैकड़ों लूटने वाले हैं, अकेले हम हैं
राह का ख़ौफ़ है, जंगल है, उजाले कम हैं
सैकड़ों लूटने वाले हैं, अकेले हम हैं
राह का ख़ौफ़ है...

आज तो मुझपे हर एक सिम्त से पत्थर बरसे
आज तो मुझपे हर एक सिम्त से पत्थर बरसे
मैं समझता था मेरे चाहने वाले कम हैं
सैकड़ों लूटने वाले हैं, अकेले हम हैं
राह का ख़ौफ़ है...

राह-ए-उल्फ़त में क़दम रखा तो डरना कैसा
राह-ए-उल्फ़त में क़दम रखा तो डरना कैसा
मैं समझ लूँगा उन्हें भी, वहाँ जितने दम हैं
सैकड़ों लूटने वाले हैं, अकेले हम हैं
राह का ख़ौफ़ है...

अपनी पलकों से चुनूँगा तेरे ग़म के काँटे
अपनी पलकों से चुनूँगा तेरे ग़म के काँटे
ऐ मेरी जान, ना घबरा, तेरे साथी हम हैं
सैकड़ों लूटने वाले हैं, अकेले हम हैं

राह का ख़ौफ़ है, जंगल है, उजाले कम हैं
सैकड़ों लूटने वाले हैं, अकेले हम हैं
राह का ख़ौफ़ है...



Credits
Writer(s): Anup Jalota, Shabab Merthi
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