Yeh Sone Ki Duniya (From "Do Dost")

ये सोने की दुनिया, ये चाँदी की दुनिया
यहाँ आदमी की भला बात क्या है
ये दौलत की दुनिया, अमीरों की दुनिया
ये दौलत की दुनिया, अमीरों की दुनिया
यहाँ पर ग़रीबों की औकात क्या है
ये सोने की दुनिया...

ये टूटे दिलों के जो टुकड़े पड़े हैं
लगा ले इन्हें दिल से, वो दिल कहाँ है?
ये footpath पर सो रहे जो मुसाफ़िर
बताए कोई इनकी मंज़िल कहाँ है
...मंज़िल कहाँ है

बिना रोशनी के हैं इन के सँवेरे
जो दिन ही अँधेरे तो फिर रात क्या है
ये दौलत की दुनिया, अमीरों की दुनिया
यहाँ पर ग़रीबों की औकात क्या है
ये सोने की दुनिया...

ये भूखे, ये नंगे, ये भिखमंगे भी तो
उसी दीनबंधु की संतान है रे
ये क्यूँ छीन गया इन के जीने का अधिकार?
ये भी तो हम जैसे इंसान हैं रे
...इंसान हैं रे

ये आँखें बरसती हैं १२ महीने
इन अश्कों के आगे ये बरसात क्या है
ये दौलत की दुनिया, अमीरों की दुनिया
यहाँ पर ग़रीबों की औकात क्या है
ये सोने की दुनिया...



Credits
Writer(s): Bharat Vyas, S Mohinder
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