Pagal Zamane Mein

पागल ज़माने में, इस पागल-ख़ाने में
सब से तू पागल ही बन के मिल

पागल ज़माने में, इस पागल-ख़ाने में
सब से तू पागल ही बन के मिल
पागल के लिए है माफ़, कुछ भी वो करे मज़ाक
सुन, ऐ, मेरे दिल

पागल ज़माने में, इस पागल-ख़ाने में
सब से तू पागल ही बन के मिल
पागल के लिए है माफ़, कुछ भी वो करे मज़ाक
सुन, ऐ, मेरे दिल, अरे, सुन, ऐ, मेरे दिल

दुनिया का ये मेला, हूँ फिर भी मैं अकेला
आँधी में जैसे चिराग़
कैसी है ये उलझन कि सुलझाए जितना मन
उतना ही उलझे दिमाग़

क़ाबिल तो भूखा मरे
पागल जो चाहे करे
कैसा है मज़ाक

पागल ज़माने में, इस पागल-ख़ाने में
सब से तू पागल ही बन के मिल
पागल के लिए है माफ़, कुछ भी वो करे मज़ाक
सुन, ऐ, मेरे दिल, अरे, सुन, ऐ, मेरे दिल

जल में धोबी प्यासा, जब देखा ये तमासा
तब जाके समझा मैं बात
जब तक ख़ुद ना चाहे, नहीं ढूँढे ख़ुद हम राहें
देता नहीं कोई साथ

मतलब का है ये जहाँ
इंसा हैं ऐसे यहाँ
बोले दिन को रात

पागल ज़माने में, इस पागल-ख़ाने में
सब से तू पागल ही बन के मिल
पागल के लिए है माफ़, कुछ भी वो करे मज़ाक
सुन, ऐ, मेरे दिल, अरे, सुन, ऐ, मेरे दिल



Credits
Writer(s): Rahul Dev Burman, Yogesh
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