Mithoon feat. Mohit Chauhan, Sukhwinder Singh, Badshah, Megha Sriram Dalton, Anugrah, Sandeep Shrivastava -
2016 Top 10 Bollywood Songs
Bolo Har Har Har (From "Shivaay")
आग बहे तेरी रग में
तुझ सा कहाँ कोई जग में
है वक्त का तू ही तो पहला पहर
तू आँख जो खोले तो ढाए कहर
तो बोलो, "हर, हर, हर"
तो बोलो, "हर, हर, हर"
तो बोलो, "हर, हर, हर"
ना आदि, ना अंत है उसका
वो सबका, ना इनका-उनका
वही है माला, वही है मनका
मस्त मलंग वो अपनी धुन का
जंतर, मंतर, तंतर ज्ञानी
है सर्वग्य स्वाभिमानी
मृत्युंजय है महाविनाशी
ओंकार है इसी की वाणी
(इसी की, इसी की, इसी की वाणी)
(इसी की, इसी की, इसी की वाणी)
भाँग धतूरा, बेल का पत्ता
तीनों लोक इसी की सत्ता
विष पीकर भी अडिग, अमर है
महादेव हर-हर है जपता
वही शून्य है, वही इकाय
वही शून्य है, वही इकाय
वही शून्य है, वही इकाय
जिसके भीतर बसा शिवाय
तो बोलो, "हर, हर, हर"
तो बोलो, "हर, हर, हर"
अघोरा नाम परो मन्त्र
ना इस्तितत्वं गुरोः परा (महादेव)
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय
नित्याय-शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै कराय नमः शिवाय
शिव रक्षमाम्, शिव पाहिमाम्
शिव त्राहिमाम्, शिव रक्षमाम्
शिव पाहिमाम्, शिव पाहिमाम्
महादेव जी त्वं पाहिमाम्
शरणागतम् त्वं पाहिमाम्
आव रक्षमाम् शिव, पाहिमाम् शिव
आँख मूँद कर देख रहा है
साथ समय के खेल रहा है
महादेव, महा-एकाकी
जिसके लिए जगत है झाँकी
जटा में गंगा, चाँद मुकुट है
सौम्य कभी, कभी बड़ा विकट है
आँख से जन्मा है कैलाशी
शक्ति जिसकी दरस की प्यासी
है प्यासी (हाँ, प्यासी)
राम भी उसका, रावण उसका
जीवन उसका, मरण भी उसका
तांडव है और ध्यान भी वो है
अज्ञानी का ज्ञान भी वो है
आँख तीसरी जब ये खोले
हिले धरा और स्वर्ग भी डोले
गूँज उठे हर दिशा क्षितिज में
नाद उसी का बम-बम भोले
वही शून्य है, वही इकाय
वही शून्य है, वही इकाय
वही शून्य है, वही इकाय
जिसके भीतर बसा शिवाय
तू ही शिवा, तुझमें ही शिवा
कोई नही यहाँ तेरे सिवा
उड़ा राख, अग्नि को ज्वाला तू कर
मिटा दे अँधेरे तू बन के सहर
तो बोलो, "हर, हर, हर"
जा-जा कैलाश, जा कर विनाश
जा-जा कैलाश, जा कर विनाश
जा-जा कैलाश, जा कर विनाश
जा-जा कैलाश, कर सर्वनाश (तो बोलो, "हर, हर, हर")
जा-जा कैलाश, जा कर विनाश
जा-जा कैलाश, जा कर विनाश
जा-जा कैलाश, जा कर विनाश
जा-जा कैलाश, कर सर्वनाश (तो बोलो, "हर, हर, हर")
आँख मूँद कर देख रहा है, साथ समय के खेल रहा है
महादेव, महा-एकाकी
जिसके लिए जगत है झाँकी (तो बोलो, "हर हर हर")
जटा में गंगा, चाँद मुकुट है, सौम्य कभी, कभी बड़ा विकट है
आँख से जन्मा है कैलाशी
शक्ति जिसकी दरस की प्यासी (तो बोलो, "हर हर हर")
यच्छास्वरूपा जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय
दिव्या देवाय दिगम्बराय
तश्मे कराय नमः शिवाय
तुझ सा कहाँ कोई जग में
है वक्त का तू ही तो पहला पहर
तू आँख जो खोले तो ढाए कहर
तो बोलो, "हर, हर, हर"
तो बोलो, "हर, हर, हर"
तो बोलो, "हर, हर, हर"
ना आदि, ना अंत है उसका
वो सबका, ना इनका-उनका
वही है माला, वही है मनका
मस्त मलंग वो अपनी धुन का
जंतर, मंतर, तंतर ज्ञानी
है सर्वग्य स्वाभिमानी
मृत्युंजय है महाविनाशी
ओंकार है इसी की वाणी
(इसी की, इसी की, इसी की वाणी)
(इसी की, इसी की, इसी की वाणी)
भाँग धतूरा, बेल का पत्ता
तीनों लोक इसी की सत्ता
विष पीकर भी अडिग, अमर है
महादेव हर-हर है जपता
वही शून्य है, वही इकाय
वही शून्य है, वही इकाय
वही शून्य है, वही इकाय
जिसके भीतर बसा शिवाय
तो बोलो, "हर, हर, हर"
तो बोलो, "हर, हर, हर"
अघोरा नाम परो मन्त्र
ना इस्तितत्वं गुरोः परा (महादेव)
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय
नित्याय-शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै कराय नमः शिवाय
शिव रक्षमाम्, शिव पाहिमाम्
शिव त्राहिमाम्, शिव रक्षमाम्
शिव पाहिमाम्, शिव पाहिमाम्
महादेव जी त्वं पाहिमाम्
शरणागतम् त्वं पाहिमाम्
आव रक्षमाम् शिव, पाहिमाम् शिव
आँख मूँद कर देख रहा है
साथ समय के खेल रहा है
महादेव, महा-एकाकी
जिसके लिए जगत है झाँकी
जटा में गंगा, चाँद मुकुट है
सौम्य कभी, कभी बड़ा विकट है
आँख से जन्मा है कैलाशी
शक्ति जिसकी दरस की प्यासी
है प्यासी (हाँ, प्यासी)
राम भी उसका, रावण उसका
जीवन उसका, मरण भी उसका
तांडव है और ध्यान भी वो है
अज्ञानी का ज्ञान भी वो है
आँख तीसरी जब ये खोले
हिले धरा और स्वर्ग भी डोले
गूँज उठे हर दिशा क्षितिज में
नाद उसी का बम-बम भोले
वही शून्य है, वही इकाय
वही शून्य है, वही इकाय
वही शून्य है, वही इकाय
जिसके भीतर बसा शिवाय
तू ही शिवा, तुझमें ही शिवा
कोई नही यहाँ तेरे सिवा
उड़ा राख, अग्नि को ज्वाला तू कर
मिटा दे अँधेरे तू बन के सहर
तो बोलो, "हर, हर, हर"
जा-जा कैलाश, जा कर विनाश
जा-जा कैलाश, जा कर विनाश
जा-जा कैलाश, जा कर विनाश
जा-जा कैलाश, कर सर्वनाश (तो बोलो, "हर, हर, हर")
जा-जा कैलाश, जा कर विनाश
जा-जा कैलाश, जा कर विनाश
जा-जा कैलाश, जा कर विनाश
जा-जा कैलाश, कर सर्वनाश (तो बोलो, "हर, हर, हर")
आँख मूँद कर देख रहा है, साथ समय के खेल रहा है
महादेव, महा-एकाकी
जिसके लिए जगत है झाँकी (तो बोलो, "हर हर हर")
जटा में गंगा, चाँद मुकुट है, सौम्य कभी, कभी बड़ा विकट है
आँख से जन्मा है कैलाशी
शक्ति जिसकी दरस की प्यासी (तो बोलो, "हर हर हर")
यच्छास्वरूपा जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय
दिव्या देवाय दिगम्बराय
तश्मे कराय नमः शिवाय
Credits
Writer(s): Mithoon, Sandeep Shrivastava
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