Ambar Ne Dharti Se Poochha

अंबर ने धरती से पूछा, "प्रेमियों के घर क्या बसे हैं?"
अंबर ने धरती से पूछा, "प्रेमियों के घर क्या बसे हैं?"
तू मुझसे कुछ ना छुपा, तू मुझसे कुछ ना छुपा

धरती ये अंबर से बोली, "प्रेमियों के घर तो लूटे हैं"
धरती ये अंबर से बोली, "प्रेमियों के घर तो लूटे हैं"
जो सच है वो मैंने कहा, जो सच है वो मैंने कहा

प्रेमियों का क्यूँ है आख़िर ये दुश्मन सारा ज़माना?
क्यूँ ये जज़्बा चाहता है इंसान ख़ुद ही मिटाना?
ऐ अंबर...
ऐ अंबर, तू नीचे तो आ, मोहब्बत सभी को सीखा

अंबर ने धरती से पूछा, "प्रेमियों के घर क्या बसे हैं?"
धरती ये अंबर से बोली, "प्रेमियों के घर तो लूटे हैं"

प्रेमियों के हाल पर मैं कब से रो रही हूँ
ज़ुल्म देखे मैंने इतने, पागल सी हो रही हूँ
ऐ धरती...
ऐ धरती, ना आँसू बहा, मेरा दिल भी रोने लगा

अंबर ने धरती से पूछा, "प्रेमियों के घर क्या बसे हैं?"
धरती ये अंबर से बोली, "प्रेमियों के घर तो लूटे हैं"

लोग क्या थे, क्या जुनूँ था, वो कैसी बेख़ुदी थी
प्यार में ये जान देना तो उनकी ज़िंदगी थी
ऐ ख़ुदा, तू...
ऐ ख़ुदा, तू सुन ले दुआ, जो बिछड़े हैं उनको मिला



Credits
Writer(s): Usha Khanna, Yogesh Yogesh
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