Humsafar (Alia's Version) [From "Badrinath Ki Dulhania"]

ज़ालिमा क्यूँ हैं दूरियाँ
हूँ तेनू लबा मैं कहाँ
दस तेनू लबा मैं कहाँ
सुन मेरे हुंसफर
क्या तुझे इतनी सी भी खबर

सुन मेरे हमसफर
क्या तुझे इतनी सी भी खबर
की तेरी साँसें चलती जिधर
रहूंगी बस वहीं उम्र्र भर
रहूंगी बस वहीं उम्र्र भर, हाए

मुस्कुराना भी तुझी से सीखा है
दिल लगाने का तू ही तरीका है
ऐतबार भी तुझी से होता है
आऔन ना होश में मैं कभी
बाहों में है तेरी ज़िंदगी
है नही था पता
की तुझे मान लूँगी खुदा
की तेरी गलियों में इस क़दर
आउँगी अब हर पहर
ओ सुन मेरे हमसफर
क्या तुझे इतनी सी भी खबर
की तेरी साँसें चलती जिधर
रहूंगी बस वहीं उम्र्र भर

रहूंगी बस वहीं उम्र्र भर, हाए
मेरे ज़ालिमा



Credits
Writer(s): Akhil Sachdeva
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link