Ab Raat (Version 1)

चाँद की आँखें भारी सी हैं
रात अँधेरी हारी सी है
चाँद की आँखें भारी सी हैं
रात अँधेरी हारी सी है

मान भी जा, ठहर ज़रा
सवेरा कोई दूर क्या?

बस अब रात गुज़रने वाली है
अब रात गुज़रने वाली है
अब रात गुज़रने वाली है
बस रात गुज़रने वाली है

दर्द-दर्द, अँधेरा
ज़ख़्म सी चाँदनी धुल जाएगी धूप में
सर्द हाथों का घेरा
शहर की बेरुखी खो जाएगी गूँज में

परिंदों की अज़ाने
गुनगुनाती राह भी कहती है आँखें चूम के:

"बस अब रात गुज़रने वाली है
अब रात गुज़रने वाली है
अब रात गुज़रने वाली है
बस रात गुज़रने वाली है"

मेरी सुनो तो आँखें मूँदो
खुद में ही ढूँढो नया एक नज़रिया
ख़ौफ़ में तुमने छुपा रखा है
अपने भीतर नूर का दरिया

बहने दो उसे वो धो देगा
दीवार जो मन की काली है

अब रात गुज़रने वाली है
अब रात गुज़रने वाली है
अब रात गुज़रने वाली है
बस रात गुज़रने वाली है



Credits
Writer(s): Samira Deudutt Koppikar, Sharma Puneet
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