Mera Pardesi Na Aaya

मेरा परदेसी ना आया
हो, मेरा परदेसी ना आया
सब के मन के मीत मिले हैं
बाग़ों में फिर फूल खिले हैं
मेरा मन मुरझाया
मेरा परदेसी ना आया

सावन बरसा यूँ मन तरसा, मैं जी-भर के रोई
सावन बरसा यूँ मन तरसा, मैं जी-भर के रोई
जिसने देखा पागल समझा, ये ना समझा कोई

मेरा परदेसी ना आया
हो, मेरा परदेसी ना आया

याद में किस की जाने जुल्मी भूल गया बिरहन को
याद में किस की जाने जुल्मी भूल गया बिरहन को
राह में जाने किस सौतन ने रोक लिया साजन को

मेरा परदेसी ना आया
हो, मेरा परदेसी ना आया

साँझ-सकारे ये कह-कह के छेड़े दुनिया सारी
साँझ-सकारे ये कह-कह के छेड़े दुनिया सारी
"वो आती है, वो जाती है इक बिरह की मारी"

मेरा परदेसी ना आया
हो, मेरा परदेसी ना आया
सब के मन के मीत मिले हैं
बाग़ों में फिर फूल खिले हैं
मेरा मन मुरझाया
मेरा परदेसी ना आया



Credits
Writer(s): Anand Bakshi, Anandji V Shah, Kalyanji Virji Shah
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