Humsafar (Zaalima)

सुन्न मेरे हुंसफर
क्या तुझे इतनी सी भी खबर

ज़ालिमाआआ
ज़ालिमाआआ

सुन्न मेरे हुंसफर
क्या तुझे इतनी सी भी खबर
के तेरी साँसें चलती जिधर
रहूं गा बस वही उमर भर
रहूं गा बस वही उमर भर हाए

जितनी हसीन ये मुलाक़ातें है
उन से भी प्यारी तेरी बातें है
बातों में तेरी जो खो जाते है
आऊ ना होश में, मैं कभी
बाँहों में है तेरी ज़िंदगी हाए
है नही था पता
के तुझे मान लू गा खुदा
के तेरी गलियों में इस क़दर
आऊंगा हर पहर
रहूंगा बस वही उमर भर हाए

ज़ालिमाआआ

मैं तो यु खड़ा किस
सोच में पड़ा था
कैसे जी रहा था मैं दीवाना
चुपके से आके तूने
दिल में सम्मा के तूने
छेड़ दिया कैसे ये फसाना

ओ.मुस्कुराना भी तुझी से सीखा है
दिल लगाने का तूही तरीका है
ऐतबार भी तुझी से होता है
आऊ ना होश में, मैं कभी
बाँहों में है तेरी ज़िंदगी हाए

सुन्न मेरे हुंसफर
क्या तुझे इतनी सी भी खबर
के तेरी साँसें चलती जिधर
रहूं गा बस वही उमर भर
रहूं गा बस वही उमर भर हाए



Credits
Writer(s): Akhil Nasha
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