Lafz Unkahe

अभी तो था यहीं, अभी कुछ हुआ तो दूर
दिल को समझना क्या, किसका था ये कुसूर?
कि रंग ख़्वाहिशों पे चढ़ ना सकें

रह गए दरमियाँ कुछ लफ़्ज़ अनकहे
कुछ लफ़्ज़ अनकहे
Hmm, कुछ लफ़्ज़ अनकहे

कुछ लफ़्ज़ अनकहे होंठों पे रह गए
कुछ पन्नों में कभी सिमटे यूँ रह गए
तूने भी ना सुनी नज़रों की दास्ताँ

रह गए बेज़ुबाँ वो लफ़्ज़ अनकहे
वो लफ़्ज़ अनकहे, कुछ लफ़्ज़ अनकहे
Hmm, लफ़्ज़ अनकहे

कहना है ये भी तो कि सोचा है तुम को बार
हाँ, चाहा ये भी आते-जाते
कभी मिल भी जाओ बे-वजह

तेरा ज़िक्र कहीं जब सुना है
दिल में ली क्यूँ ख़लिश ने जगह है?
रह गए दरमियाँ वो लफ़्ज़ अनकहे
वो लफ़्ज़ अनकहे, लफ़्ज़ अनकहे, hmm

अभी तो ज़िंदगी में कुछ भी ना कमी
लबों पे हैं हँसी, आँखों में कुछ नमी
होते कुछ और हम, कुछ होता ये समा

कह जाते हम अगर वो लफ़्ज़ अनकहे
Hmm, वो लफ़्ज़ अनकहे
हाँ, लफ़्ज़ अनकहे

(वो लफ़्ज़ अनकहे)
(वो लफ़्ज़ अनकहे)



Credits
Writer(s): Mohit Prakash Pathak
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