Rushiyon Muniyon Ne

ऋषियों-मुनियों ने गाईं हैं
राम तुम्हारी गाथाएँ
ऋषियों-मुनियों ने गाईं हैं
राम तुम्हारी गाथाएँ

हम अज्ञानी, कैसे तुम तक?
हम अज्ञानी, कैसे तुम तक?
अपनी श्रद्धा पहुँचाए?

ऋषियों-मुनियों ने गाईं हैं
राम तुम्हारी गाथाएँ

तुलसी ने रामायण लिख दी
दोहे दास कबीरा ने
राम तुम्हारे भव्य रूप को
नानक ही कोई पहचानें

संतों ने नित गाई महिमा...
संतों ने नित गाई महिमा
हम गाएँ तो क्या गाएँ?

ऋषियों-मुनियों ने गाईं हैं
राम तुम्हारी गाथाएँ

तुम संभोदन अंतर्मन के
तुम जीवन की सँज्ञा हो
जो ध्याए बस वो ही जानें
हम क्या जाने तुम क्या हो

हमको तो बस इतना आता...
हमको तो बस इतना आता
नाम तुम्हारा दोहराएँ

ऋषियों-मुनियों ने गाईं हैं
राम तुम्हारी गाथाएँ

तुमने बन-बन, भटक-भटक कर
पथिकों को पथ दिखलाया
कठिनाई में कैसे जीते
जनमानस को सिखलाया

हमको ये भी ज्ञान नहीं है...
हमको ये भी ज्ञान नहीं है
क्या खोएँ, हम क्या पाएँ

ऋषियों-मुनियों ने गाईं हैं
राम तुम्हारी गाथाएँ

हम अज्ञानी, कैसे तुम तक?
हम अज्ञानी, कैसे तुम तक?
अपनी श्रद्धा पहुँचाए?

ऋषियों-मुनियों ने गाईं हैं
राम तुम्हारी गाथाएँ
ऋषियों-मुनियों ने गाईं हैं
राम तुम्हारी गाथाएँ
ऋषियों-मुनियों ने गाईं हैं
राम तुम्हारी गाथाएँ



Credits
Writer(s): Rajesh Jouhari, Harshad, Pradhyuman
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